IITian Baba Networth: IIT से अध्यात्म तक , लाखो का पैकेज छोड़ अध्यात्म की ओर

IITian Baba:-


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आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की, जिसने इंजीनियरिंग की दुनिया से लेकर अध्यात्म की राह तक का सफर तय किया। अभय सिंह, जिन्हें अब आईआईटीयन बाबा के नाम से जाना जाता है, एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं। उनकी कहानी न केवल हैरान करने वाली है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जिंदगी में सच्ची खुशी और संतुष्टि की तलाश कितनी अनोखी राहों पर ले जा सकती है।

प्रारम्भिक जीवन :-

अभय सिंह का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि पढ़ाई और ज्ञान अर्जन में थी। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया। वहां उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने डिजाइन में मास्टर्स भी किया। 

आईआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद अभय ने करियर की शुरुआत बेहद शानदार तरीके से की। उन्हें दिल्ली और कनाडा की बड़ी कंपनियों में नौकरी के अवसर मिले। कनाडा में वह 2019 से 3 साल तक रहे और वहां उनकी सालाना कमाई करीब 3600000 थी। यह वह दौर था जब अभय के पास पैसा, शोहरत और एक आरामदायक जिंदगी थी, जिसे समाज में सफलता का पैमाना माना जाता है।

अध्यात्मिक जीवन :-

अभय सिंह ने श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा में शामिल होने का फैसला किया, जो भारत के सबसे पुराने और सम्मानित सन्यासी संगठनों में से एक है। इस अखाड़े में शामिल होने के बाद वह पूरी तरह से सन्यासी जीवन जीने लगे। 2025 में प्रयागराज में हुए महाकुंभ मेले में उनकी मौजूदगी ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। अपनी डिग्री और पिछले करियर की वजह से लोग उन्हें आईआईटीयन बाबा कहने लगे।

महाकुंभ में एक इंटरव्यू के दौरान अभय ने कहा, मैंने ज्ञान की खोज की। इंजीनियरिंग से लेकर कला और फिर अध्यात्म तक, हर क्षेत्र में मैंने सच को ढूंढने की कोशिश की। अब मेरे लिए सिर्फ महादेव हैं। उनकी सादगी, दाढ़ी-जटाएं और संन्यासी वेशभूषा लोगों को हैरान कर देती है, खासकर जब उन्हें पता चलता है कि यह वही शख्स है जो कभी आईआईटी बॉम्बे का छात्र और कनाडा में  इंजीनियर था।

लाखो के पैकेज से अध्यात्म की ओर:-

अभय की जिंदगी में सब कुछ ठीक नहीं था। बाहर से भले ही उनकी जिंदगी परफेक्ट दिखती हो, लेकिन अंदर से वह डिप्रेशन और खालीपन से जूझ रहे थे। कनाडा में रहते हुए उन्हें एहसास हुआ कि पैसा और भौतिक सुख उनकी आत्मा को संतुष्ट नहीं कर सकते। उन्होंने अपनी जिंदगी और दिमाग की भूमिका पर गहराई से विचार करना शुरू किया। इसी दौरान उनकी रुचि दर्शनशास्त्र और अध्यात्म की ओर बढ़ी।

अभय ने बताया कि वह सुकरात और प्लेटो जैसे दार्शनिकों को पढ़ने लगे ताकि जिंदगी का असली मतलब समझ सकें। इसके बाद उन्होंने भारत वापसी की और हिमाचल प्रदेश के मनाली, शिमला और हरिद्वार जैसे स्थानों की यात्रा शुरू की। इस दौरान वह धीरे-धीरे अपनी पुरानी जिंदगी से दूर होते गए और अध्यात्म की राह पर चल पड़े।

आईआईटीयन बाबा की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो जिंदगी में सच्चा सुख और उद्देश्य तलाश रहे हैं। उन्होंने दिखाया कि सफलता का मतलब सिर्फ पैसा या करियर नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और ज्ञान भी हो सकता है।महाकुंभ 2025 में उनकी वायरल तस्वीरें और इंटरव्यू ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी। लोग उनकी सादगी और समझदारी की तारीफ करते नहीं थकते। अभय कहते हैं, जो इंसान कहीं अटकता नहीं, वही आजाद होता है। यह विचार उनकी जिंदगी का सार है।

नेट वर्थ:-

अभय सिंह की नेट वर्थ का सटीक आंकड़ा देना मुश्किल है, क्योंकि अब वह भौतिक संपत्ति से दूर एक संन्यासी जीवन जीते हैं। कनाडा में रहते हुए उनकी सालाना कमाई 36 लाख रुपये थी, और उनके पास एक शानदार जीवनशैली थी। लेकिन अब वह सारी संपत्ति और सुख-सुविधाएं छोड़ चुके हैं। एक संन्यासी के तौर पर उनकी नेट वर्थ को पैसे में नहीं, बल्कि उनके ज्ञान, अनुभव और आध्यात्मिक शांति में मापा जा सकता है।

उनके पिता करण ग्रेवाल ने एक इंटरव्यू में कहा, अभय हमेशा से असाधारण था। वह पढ़ाई में अव्वल था और अध्यात्म में भी उसकी रुचि थी। मैं चाहता हूं कि वह घर लौट आए, लेकिन उसकी खुशी ही मेरे लिए सब कुछ है। अभय ने अपने परिवार से भी दूरी बना ली है और अब वह पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित हैं।

 यह लेख मार्च 2025 तक उपलब्ध जानकारी पर आधारित है।

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