हजारों साल पहले विलुप्त भेड़ियों को जिंदा करने का करनामा:-
क्या आपने कभी सोचा कि जो प्रजाति हजारों साल पहले धरती से गायब हो गई, उसे फिर से जिंदा किया जा सकता है, सुनने में किसी साइंस-फिक्शन मूवी की कहानी लगती है, है ना लेकिन ये हकीकत है अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। विलुप्त भेड़ियों को फिर से जिंदा कर दिया गया है। Real News & Analysis की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सनसनीखेज खोज ने विज्ञान की दुनिया में तहलका मचा दिया है।
विलुप्त भेड़ियों की वापसी:-
सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि ये कोई जादू नहीं, बल्कि जेनेटिक इंजीनियरिंग और डीएनए टेक्नोलॉजी का कमाल है। वैज्ञानिकों ने हजारों साल पहले विलुप्त हो चुके भेड़ियों के डीएनए को संरक्षित अवशेषों से निकाला। इन अवशेषों को बर्फीले इलाकों में पाया गया, जहाँ डीएनए अभी भी अच्छी हालत में था। इसके बाद, क्रिस्पर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके इस डीएनए को आधुनिक भेड़ियों की प्रजाति में ट्रांसफर किया गया। नतीजा एक ऐसी प्रजाति तैयार हुई, जो हजारों साल पहले की विलुप्त भेड़ियों की हूबहू कॉपी है।
ये प्रोजेक्ट अमेरिका की एक टॉप रिसर्च लैब में किया गया, जिसमें जेनेटिक साइंटिस्ट्स, बायोलॉजिस्ट्स, और एआई एक्सपर्ट्स की एक टीम ने दिन-रात मेहनत की। इस प्रोजेक्ट का नाम है रिवाइव एंड रिस्टोर, और इसका मकसद है विलुप्त प्रजातियों को फिर से धरती पर लाना। लेकिन सवाल ये है क्या ये सही है?क्या हमें प्रकृति के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ करना चाहिए इस सवाल का जवाब हम आगे जानेंगे, लेकिन पहले ये देखते हैं कि इन भेड़ियों की खासियत क्या है।
क्या खास है इन भेड़ियों में:-
हजारों साल पहले विलुप्त हुए ये भेड़िए कोई आम भेड़िए नहीं थे। इन्हें Dire Wolf कहा जाता है, जो अपने विशाल आकार और ताकत के लिए मशहूर थे। गेम ऑफ थ्रोन्स सीरीज देखी है उसमें जो विशालकाय भेड़िए दिखाए गए हैं, वो इन्हीं डायर वुल्फ से इंस्पायर्ड हैं। इनकी हड्डियाँ इतनी मजबूत थीं कि ये बड़े-बड़े शिकार को आसानी से मार गिराते थे। इनके दांत इतने नुकीले थे कि एक बार में हड्डी तक चबा सकते थे। और अब, इनकी वापसी ने वैज्ञानिकों को एक नई उम्मीद दी है कि शायद हम दूसरी विलुप्त प्रजातियों को भी जिंदा कर सकते हैं, जैसे मैमथ या डोडो पक्षी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये प्रजाति हमारे इकोसिस्टम को बैलेंस करने में मदद कर सकती है। ये भेड़िए शिकारी होते हैं, जो जंगल में हिरणों और दूसरे जानवरों की आबादी को कंट्रोल करते थे। इनके विलुप्त होने से इकोसिस्टम में गड़बड़ी आई थी, और अब इनकी वापसी से वो बैलेंस फिर से बन सकता है। लेकिन क्या ये इतना आसान है चलिए इस सिक्के का दूसरा पहलू भी देखते हैं।
क्या हैं इसके खतरे:-
हर बड़ी खोज के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े होते हैं, और ये प्रोजेक्ट भी उससे अछूता नहीं है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ये भेड़िए आधुनिक दुनिया में सर्वाइव कर पाएँगे आज का पर्यावरण, मौसम, और खान-पान इनके लिए पूरी तरह अलग है। क्या ये भेड़िए यहाँ ढल पाएँगे, या फिर इनके लिए जंगल एक नई जंग बन जाएगा दूसरा खतरा है जेनेटिक म्यूटेशन का। अगर इनके डीएनए में कोई गड़बड़ी हुई, तो ये भेड़िए अनकंट्रोल्ड हो सकते हैं और इंसानों के लिए खतरा बन सकते हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस खबर को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे विज्ञान की जीत बता रहे हैं, तो कुछ इसे प्रकृति के खिलाफ साजिश करार दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, अगर हम विलुप्त प्रजातियों को जिंदा करने लगे तो कल को डायनासोर भी ला सकते हैं। फिर जुरासिक पार्क हकीकत बन जाएगा वहीं, एक और यूजर ने कहा, ये इंसान की हद से ज्यादा दखलंदाजी है, प्रकृति को अपने हिसाब से चलने देना चाहिए।
भविष्य में क्या होगा:-
इस खोज ने विज्ञान की दुनिया में एक नई बहस छेड़ दी है। क्या हमें विलुप्त प्रजातियों को जिंदा करना चाहिए क्या ये नैतिक रूप से सही है और सबसे बड़ा सवाल क्या हम इसके नतीजों को झेलने के लिए तैयार हैं वैज्ञानिकों का कहना है कि ये सिर्फ शुरुआत है। आने वाले सालों में हम और भी विलुप्त प्रजातियों को जिंदा होते देख सकते हैं। लेकिन इसके लिए हमें सख्त नियम और सावधानियाँ बरतनी होंगी, ताकि ये खोज वरदान बने,न कि अभिशाप।
अमेरिकी वैज्ञानिकों का ये करनामा न सिर्फ हैरान करने वाला है, बल्कि सोचने पर मजबूर करने वाला भी है। विलुप्त भेड़ियों की वापसी ने हमें दिखा दिया कि इंसान की ताकत कितनी बड़ी हो सकती है। लेकिन साथ ही, ये एक चेतावनी भी है कि हमें अपनी ताकत का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए।