अगर Dinosaur 65 मिलियन साल पहले विलुप्त ना हुए होते तो हमारी दुनिया कैसी होती

Dinosaur:- 

लगभग 65 मिलियन साल पहले एक विशाल उल्कापिंड ने धरती से टकराकर डायनासोर की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया। इस हादसे में डायनासोर की कई प्रजातियां, जो करीब 250 से 235 मिलियन साल पहले पृथ्वी पर राज करती थीं, विलुप्त हो गईं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उस समय तकरीबन 66 मिलियन साल पहले के आखिरी क्रिटेशियस काल में डायनासोर की कई प्रजातियां खत्म हो गई थीं। लेकिन क्या हो अगर वो उल्कापिंड धरती से ना टकराता क्या हो अगर डायनासोर आज भी हमारे बीच होते तो हमारी दुनिया कैसी होती।

डायनासोर का अस्तित्व:-

अगर 65 मिलियन साल पहले वो उल्कापिंड धरती से ना टकराता, तो डायनासोर की प्रजातियां शायद आज भी फलती-फूलतीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि डायनासोर पहले से ही कई तरह के पर्यावरण में ढल चुके थे। कुछ डायनासोर मांसाहारी थे, जैसे टी-रेक्स, तो कुछ शाकाहारी थे, जैसे ब्रोंटोसॉरस। अगर वो विलुप्त ना हुए होते, तो उनकी प्रजातियां और भी विकसित हो सकती थीं। शायद वो और ज्यादा बुद्धिमान हो गए होते। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि डायनासोर की कुछ प्रजातियां, जैसे ट्रूडॉन, पहले से ही अच्छी बुद्धि रखती थीं। अगर उनका विकास जारी रहता, तो शायद वे इंसान की तरह औजार बनाने या सभ्यता बनाने की ओर बढ़ते।

इंसान और डायनासोर क्या साथ रहना संभव था:-

इंसान का विकास करीब 2-3 लाख साल पहले हुआ। लेकिन अगर डायनासोर उस उल्कापिंड की चपेट में ना आए होते, तो शायद हमारा विकास ही अलग तरह से हुआ होता। डायनासोर जैसे विशाल और खतरनाक प्राणी के सामने इंसान का शुरुआती जीवन बेहद मुश्किल होता। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर डायनासोर आज जिंदा होते, तो उनकी आबादी 65 से 240 मिलियन तक हो सकती थी। ऐसे में, इंसान के लिए डायनासोर से बचना एक बड़ी चुनौती होता।

हालांकि, इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसकी बुद्धि है। शायद हम डायनासोर से बचने के लिए गुफाओं में छिपते, या ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर बस्तियां बसाते। हो सकता है कि हम डायनासोर को समझने और उनके साथ रहने के तरीके ढूंढ लेते। लेकिन एक बात पक्की है – डायनासोर की मौजूदगी में इंसान का विकास वैसा नहीं होता, जैसा आज हम देखते हैं।

आधुनिक दुनिया में डायनासोर एक कल्पना:-

अगर डायनासोर आज हमारे बीच होते, तो हमारी दुनिया पूरी तरह अलग होती। शायद हम डायनासोर को देखने के लिए विशाल संरक्षित पार्क बनाते, जैसे फिल्म जुरासिक पार्क में दिखाया गया है। लेकिन डायनासोर की मौजूदगी खतरे भी लाती। एक मांसाहारी डायनासोर अगर शहर में घुस जाए, तो सोचिए क्या तबाही मचती शायद हमें अपनी सुरक्षा के लिए खास तरह के शहर बनाना पड़ते, जहां डायनासोर ना पहुंच सकें।

क्या भविष्य में डायनासोर को जिंदा किया जा सकता है:-

अब सवाल ये है कि क्या इंसान डायनासोर को फिर से जिंदा कर सकता है वैज्ञानिक इस पर गंभीरता से काम कर रहे हैं। डीएनए तकनीक और जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए डायनासोर को पुनर्जनन की बात फिल्मों से निकलकर हकीकत के करीब आ रही है। वैज्ञानिकों ने मच्छरों के जीवाश्म में डायनासोर का डीएनए खोजने की कोशिश की है, जैसा जुरासिक पार्क में दिखाया गया। हालांकि, डायनासोर का डीएनए इतने लंबे समय तक सुरक्षित रहना मुश्किल है। लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पक्षियों  जो डायनासोर के वंशज माने जाते हैं उनके डीएनए को बदलकर डायनासोर जैसी प्रजाति बनाई जा सकती है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जॉर्ज चर्च जैसे लोग डी-एक्सटिंक्शन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसमें वे पुराने जीवों को फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर ये सफल हुआ, तो शायद अगले 50-100 साल में हम टी-रेक्स या वेलोसिरैप्टर को सचमुच देख सकें। लेकिन सवाल ये भी है क्या हमें ऐसा करना चाहिए डायनासोर को जिंदा करना रोमांचक लगता है, पर इससे पारिस्थितिकी तंत्र पर भारी खतरा भी हो सकता है।

डायनासोर का 65 मिलियन साल पहले विलुप्त होना शायद इंसान के लिए एक वरदान था। उनकी गैरमौजूदगी ने हमें धरती पर राज करने का मौका दिया। अगर वो उल्कापिंड ना टकराता, तो शायद आज धरती डायनासोर की ही दुनिया होती, और इंसान का विकास रुक गया होता। वहीं, भविष्य में अगर हम डायनासोर को जिंदा करने में कामयाब हो गए, तो ये विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी लेकिन इसके जोखिम भी कम नहीं होंगे। ये कल्पना और विज्ञान हमें सोचने पर मजबूर करता है कि प्रकृति और तकनीक का खेल हमारी दुनिया को कितना बदल सकता है।

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