Blackberry Mobile:-
एक समय था जब ब्लैकबेरी मोबाइल फोन का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर एक अलग ही उत्साह झलकता था।वह भी एक दौर था जब मोबाइल वर्ल्ड में ब्लैकबेरी की बादशाहत थी यह वह दौर था जब स्मार्टफोन की दुनिया में ब्लैकबेरी का दबदबा था। लेकिन समय के साथ यह ब्रांड न सिर्फ पीछे छूट गया, बल्कि बाजार से लगभग गायब ही हो गया। आइए, जानते हैं ब्लैकबेरी की इस रोचक यात्रा को, जो इसकी शानदार शुरुआत से लेकर इसके दुखद अंत तक की कहानी बयां करती है।
Golden Day of Blackberry:-
ब्लैकबेरी की कहानी शुरू होती है कनाडा की एक कंपनी रिसर्च इन मोशन (RIM) से, जिसने 1999 में पहला ब्लैकबेरी डिवाइस लॉन्च किया। शुरुआत में यह एक पेजर जैसा उपकरण था, जो ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए बनाया गया था। लेकिन असली क्रांति तब आई, जब 2003 में ब्लैकबेरी ने अपना पहला फोन लॉन्च किया, जिसमें कीबोर्ड और ईमेल की सुविधा थी। उस समय यह फोन कारोबारियों और प्रोफेशनल्स के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया। इसका QWERTY कीबोर्ड तेजी से टाइपिंग की सुविधा देता था, और ब्लैकबेरी मैसेंजर (BBM) ने इसे युवाओं के बीच भी पसंदीदा बना दिया।
2000 के दशक के मध्य में ब्लैकबेरी अपने चरम पर था। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे बड़े नाम इसके प्रशंसक थे। यह फोन सुरक्षा और गोपनीयता के मामले में भी सबसे आगे था, जिसके कारण इसे Business Phone का दर्जा मिला। उस समय ब्लैकबेरी का बाजार में हिस्सा 50% से भी अधिक था। ऐसा लगता था कि यह ब्रांड हमेशा स्मार्टफोन की दुनिया पर राज करेगा।
Challenges Of Blackberry:-
लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है, और ब्लैकबेरी के लिए वह मोड़ आया 2007 में, जब एप्पल ने अपना पहला iPhone लॉन्च किया। iPhone ने टचस्क्रीन और ऐप-आधारित स्मार्टफोन की नई दुनिया पेश की, जिसे देखकर लोग हैरान रह गए। दूसरी ओर, ब्लैकबेरी अपने पुराने ढर्रे पर चलता रहा। RIM के अधिकारियों को लगा कि टचस्क्रीन फोन केवल एक फैशन है और लोग जल्द ही कीबोर्ड की ओर लौट आएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इसके बाद गूगल ने अपने एंड्रॉयड सिस्टम के साथ बाजार में कदम रखा, जिसने सस्ते और विविध विकल्पों के साथ ब्लैकबेरी को और पीछे धकेल दिया। ब्लैकबेरी ने देर से टचस्क्रीन फोन लॉन्च करने की कोशिश की, जैसे ब्लैकबेरी स्टॉर्म, लेकिन ये कोशिशें नाकाम रहीं। तकनीकी खामियों और पुराने सॉफ्टवेयर ने यूजर्स को निराश किया।
Falling Of Blackberry:-
2010 तक ब्लैकबेरी की चमक फीकी पड़ने लगी थी। कंपनी ने ब्लैकबेरी 10 ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च करके वापसी की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ऐप डेवलपर्स iOS और एंड्रॉयड की ओर झुक चुके थे, और ब्लैकबेरी के पास आधुनिक ऐप्स की कमी थी। BBM, जो कभी इसकी ताकत थी, वह भी व्हाट्सएप और अन्य मैसेजिंग ऐप्स के सामने पिछड़ गया।
कंपनी का बाजार हिस्सा तेजी से गिरा, और 2016 में ब्लैकबेरी ने घोषणा की कि वह अब खुद फोन नहीं बनाएगी। इसके बजाय, उसने अपनी ब्रांडिंग दूसरी कंपनियों को लाइसेंस दे दी। लेकिन ये कदम भी ब्लैकबेरी को बचा न सके। धीरे-धीरे यह नाम लोगों की यादों से बाहर होने लगा।
Situation Of Blackberry Today:-
आज ब्लैकबेरी स्मार्टफोन की दुनिया में केवल एक पुरानी याद बनकर रह गया है। कंपनी अब साइबर सिक्योरिटी और सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस पर फोकस कर रही है। लेकिन एक समय जिस ब्रांड ने स्मार्टफोन की परिभाषा बदली थी, उसका इस तरह गायब होना वाकई सोचने वाली बात है।
ब्लैकबेरी की कहानी हमें सिखाती है कि तकनीक की दुनिया में बदलाव के साथ कदम मिलाना कितना जरूरी है। जो कंपनी कभी मिसाल थी, वह अपनी जिद और देरी की वजह से पीछे छूट गई। आज जब हम iPhone और एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल करते हैं, तो शायद ही किसी को याद आता हो कि कभी ब्लैकबेरी ने भी इस बाजार पर राज किया था।