Ankita Kanti:-
Image from Googleकौन कहता है आसमा में सुराख़ नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो कहते हैं अगर हौसले बुलंद हों तो आसमान भी झुक जाता है। उत्तराखंड के छोटे से गांव की अंकिता कांति ने यही कर दिखाया। आर्थिक तंगी सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बीच उन्होंने UPSC जैसी देश की सबसे कठिन परीक्षा में 137 वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया। यह कहानी है एक ऐसी बेटी की जिसने मेहनत और आत्मविश्वास से अपने सपनों को हकीकत में बदला और साबित किया कि मंजिल तक पहुंचने के लिए सिर्फ इरादों की जरूरत होती है।
शुरुआती जिंदगी और शिक्षा:-
अंकिता का जन्म उत्तराखंड के चमोली जिले के छोटे से गांव में हुआ। उनके पिता देवेश्वर कांति एक प्राइवेट कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड है जिनकी मेहनत से परिवार का गुजारा चलता है। मां सुशीला देवी एक गृहिणी है जिन्होंने घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई में हरसंभव सहयोग दिया। अंकिता की छोटी बहन ऊषा भी पढ़ाई में तेज है और हमेशा अपनी दीदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद अंकिता ने पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी। अंकिता की शैक्षणिक यात्रा हमेशा से बेहतरीन रही है उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई तुंतोवाला स्थित दून मॉडर्न स्कूल से की उन्होंने 92.4% अंक प्राप्त कर उत्तराखंड बोर्ड में 22वां स्थान हासिल किया। इंटरमीडिएट में संजय पब्लिक स्कूल करबारी से 96.4% अंकों के साथ देहरादून टॉप किया और प्रदेश स्तर पर चौथे स्थान पर रहीं।
किसी कोचिंग के बिना UPSC क्रैक की:-
अंकिता का UPSC का सफर प्रेरणा से भरा है। उन्होंने महंगे कोचिंग संस्थानों का सहारा लेने की बजाय अपनी मेहनत और आत्मविश्वास को हथियार बनाया। दिन-रात की कड़ी मेहनत सटीक योजना और लगन के साथ उन्होंने पढ़ाई को आगे बढ़ाया। पिता देवेश्वर कांति ने अपनी सारी बचत बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर दी जबकि मां ने घर की हर जिम्मेदारी संभाली ताकि अंकिता बिना किसी चिंता के अपने लक्ष्य पर ध्यान दे सके। छोटी बहन अंजलि ने भी घर पर पढ़ाई का माहौल बनाए रखने में पूरा साथ दिया।
परिवार का सहयोग:-
अंकिता की सफलता में उनके परिवार का योगदान अनमोल है। पिता देवेश्वर कांति कहते हैं हमारे पास ज्यादा संसाधन नहीं थे लेकिन हमने दिल से बच्चों को पढ़ाया। अंकिता ने हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। मां सुशीला का कहना है, बेटी की मेहनत ने दिखा दिया कि विश्वास और लगन से कोई भी सपना सच हो सकता है। अंकिता की उपलब्धि से गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। उनका नाम न सिर्फ उनके गांव, बल्कि राजधानी तक सम्मान के साथ लिया जा रहा है।
Image from GoogleAnkita Kanti मेहनत और विश्वास की मिसाल:-
अंकिता की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो संसाधनों की कमी को अपनी राह का रोड़ा मानता है। उन्होंने साबित किया कि कोचिंग या बड़े संसाधनों से ज्यादा जरूरी है दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत। एक साधारण परिवार की बेटी ने असाधारण मुकाम हासिल कर दिखाया कि अगर ठान लिया जाए तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं।अंकिता की यह उपलब्धि उनके परिवार के लिए गर्व का पल है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।