बॉलीवुड का सफर:-
बॉलीवुड ये नाम सुनते ही आँखों के सामने नाच-गाना, ड्रामा, और वो बड़ा पर्दा नज़र आता है। इस चकाचौंध की शुरुआत बड़ी सादी थी। आज जो बॉलीवुड दुनिया में धूम मचाता है, उसकी नींव सौ साल से भी पुरानी है। थोड़ा पीछे रिवाइंड करते हैं और देखते हैं कि ये सब शुरू कैसे हुआ।
साइलेंट वाला ज़माना:-
1913 में आई पहली इंडियन फिल्म – राजा हरिश्चंद्र, दादासाहेब फाल्के ने इसे बनाया, और वो भी बिना आवाज़ के। साइलेंट फिल्म थी, पर सीन में इतना दम था कि लोग थिएटर में बैठे-बैठे तालियाँ बजाते थे। उस वक्त एक्टर्स को एक्सप्रेशन से काम चलाना पड़ता था – कोई डायलॉग नहीं, बस इशारे और म्यूजिक। 20 साल तक साइलेंट फिल्में चलीं, और बॉम्बे सिनेमा का गढ़ बन गया।आवाज़ की एंट्री:-
1931 में आलम आरा आई पहली बोलती फिल्म। दे दे खुदा के नाम पे गाना सुनके लोग पागल हो गए। ये वो टर्निंग पॉइंट था जब बॉलीवुड को उसकी आत्मा मिली – गाने और डायलॉग। इसके बाद तो फिल्मों में ड्रामा, रोमांस, और म्यूजिक का तड़का लगना शुरू हो गया। 40 के दशक में किस्मत जैसी फिल्में आईं, जो पहले करोड़पति बनीं। उस वक्त टिकट 1 रुपये से कम का था, फिर भी सिनेमा हाल हाउसफुल रहते थे।गोल्डन एरा का जलवा:-
50 और 60 का दशक ये बॉलीवुड का गोल्डन एरा था। राज कपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद इन सितारों ने स्क्रीन पे जादू बिखेरा। आवारा, मदर इंडिया, मुगल-ए-आज़म हर फिल्म एक कहानी थी। गाने तो ऐसे थे कि आज भी प्यार हुआ इकरार हुआ सुनके दिल धड़कता है। उस वक्त फिल्में सोशल मैसेज भी देती थीं जैसे गरीबी, प्यार, और देशभक्ति का मिक्स।
मसाला फिल्मों का धमाका:-
70 का दशक आया तो अमिताभ बच्चन एंग्री यंग मैन बनके छा गए। शोले, दीवार, जंजीर भाई, ये फिल्में थीं या एक्शन का तूफान डायलॉग्स आज भी ज़ुबान पे चढ़े हैं – डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। इसी दौर में मसाला फिल्मों का फॉर्मूला सेट हुआ थोड़ा एक्शन, थोड़ा रोमांस, ढेर सारा डांस, और फुल ड्रामा। 80 का दशक थोड़ा रंगीन हुआ, पर 90 में शाहरुख खान ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे से रोमांस को नया रंग दिया।आज का बॉलीवुड:-
2025 में बॉलीवुड बदल रहा है। अब OTT का ज़माना है Sacred गेम्स से लेकर पंचायत तक, कहानियाँ गहरी और रियल हो गई हैं। पर पर्दे पे अभी भी ग़दर और जवान जैसे मसाला ब्लॉकबस्टर चलते हैं। गाने भी अब TikTok और Instagram रील्स के हिसाब से बनते हैं, पर टिप टिप बरसा पानी वाला चार्म अभी भी बरकरार है।
बॉलीवुड का असली दम उसकी मिट्टी में है। ये वो सिनेमा है जो हिंदुस्तान के हर कोने की कहानी सुनाता है , गाँव की सादगी से लेकर शहर की चमक तक। साइलेंट फिल्मों से शुरू होके आज 3D और VFX तक, बॉलीवुड ने हर बार खुद को नया बनाया। तो अगली बार जब कोई बॉलीवुड फिल्म देखे, थोड़ा गौर करना उसमें सौ साल का सफर छुपा है।